मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
17 जून 2025 के दिन भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी और ऐतिहासिक पहल करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि रिश्वत लेते हुए पकड़े गए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ राज्य सरकार तुरंत विभागीय कार्रवाई शुरू करे। मुख्य न्यायमूर्ति आलोक आराध्य और न्यायमूर्ति संदीप वी. मारने की खंडपीठ ने यह आदेश जनहित याचिका क्रमांक 26/2023 पर सुनवाई करते हुए दिया।
यह याचिका उल्हासनगर के आरटीआई कार्यकर्ता प्रकाश केसवानी और सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांडे द्वारा दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र में कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारी रंगेहाथ रिश्वत लेते पकड़े गए हैं, फिर भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही, और वर्षों से लंबित मामलों के बावजूद उन्हें पदोन्नति तक दी जा रही है।
न्यायालय की सख्त टिप्पणी:
न्यायालय ने सख्त लहजे में टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में देरी जनहित के खिलाफ है और भ्रष्टाचार को संरक्षण देने जैसा है। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में लापरवाही या टालमटोल की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती।
सभी मामलों का दो वर्षों में निपटारा अनिवार्य:
उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य सरकार को आदेश दिया है कि भ्रष्टाचार से जुड़े जितने भी विभागीय प्रकरण लंबित हैं, उन्हें अधिकतम दो वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से निपटाया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि मामलों की प्रगति पर साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
राज्य सरकार की दलील खारिज:
राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि कुछ मामलों में जांच प्रक्रियाधीन है और शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। लेकिन न्यायालय ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि जांच को अनिश्चितकाल तक खींचना स्वीकार्य नहीं है और सभी मामलों में समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अब 'जीरो टॉलरेंस':
इस आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र में रिश्वतखोरों के खिलाफ अब नर्मी नहीं बरती जाएगी। न्यायालय ने जो रुख अपनाया है, वह न केवल लंबित मामलों को गति देगा, बल्कि भविष्य में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को भी स्पष्ट चेतावनी देगा।
अब निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वह इस सख्त निर्देश का कितना प्रभावी और ईमानदार पालन करती है। यदि आदेशों का पालन सख्ती से होता है, तो यह फैसला महाराष्ट्र प्रशासन में ईमानदारी और पारदर्शिता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध हो सकता है।
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