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यूएमसी में लेखा विभाग में घोटाले की बू! ट्रांसफर के बावजूद पुराने अधिकारी काम पर, नए अधिकारियों को चार्ज नहीं मिल रहा!


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर महानगरपालिका (यूएमसी) में लेखा विभाग को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। महाराष्ट्र सरकार के स्पष्ट शासन निर्णय (GR) के बावजूद, यूएमसी की आयुक्त मनीषा आव्हाळे ने पुराने अधिकारियों को पद पर बनाए रखा है, जो न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं की भी अनदेखी करता है।

सूत्रों के अनुसार, लेखा अधिकारी किरण भिल्लाडे और ऑडिटर देशमुख का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद जून 2025 में उनका स्थानांतरण किया गया था। महाराष्ट्र शासन के अनुसार किसी भी लेखा अधिकारी को एक ही पद पर अधिकतम तीन वर्षों से अधिक नहीं रखा जा सकता। परंतु, ट्रांसफर ऑर्डर जारी होने और नए लेखा अधिकारी पांडे के यूएमसी पहुंचने के बावजूद उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा है।

आश्चर्यजनक बात यह है कि यूएमसी कमिश्नर मनीषा आव्हाळे न केवल स्थानांतरित अधिकारियों को अवैध रूप से कार्यरत रख रही हैं, बल्कि उन्हें सरकारी भुगतान जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने की अनुमति भी दे रही हैं।

वर्तमान में स्थानांतरित लेखा अधिकारी किरण भिल्लाडे शासन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका ट्रांसफर आदेश रद्द किया जाए और कार्यकाल में विस्तार दिया जाए। यह बात प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

❗प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:

जब नया अधिकारी चार्ज लेने के लिए उपस्थित है तो चार्ज क्यों नहीं दिया जा रहा?

महाराष्ट्र शासन के नियमों की यूएमसी में खुलेआम अनदेखी क्यों की जा रही है?

क्या यह किसी बड़े वित्तीय घोटाले को छिपाने का प्रयास है?

किसके दबाव में कार्यकाल पूरा कर चुके अधिकारियों को बनाए रखा जा रहा है?

अगर यह परंपरा बन गई तो क्या भविष्य में शासन के ट्रांसफर नियम केवल दिखावा बनकर रह जाएंगे?

नए अधिकारी पहले ही आ चुके हैं, फिर भी उन्हें चार्ज नहीं दिया जा रहा है।

नए अधिकारी को रोका क्यों जा रहा है❓

पहली बार...

यूएमसी आयुक्त की मनमानी!

यह पहली बार हो रहा है जब यूएमसी में ट्रांसफर ऑर्डर के बावजूद पुराने अधिकारी अवैध रूप से पद पर बने हुए हैं और नए अधिकारियों को चार्ज नहीं सौंपा जा रहा है। यह एक अत्यंत गंभीर और ऐतिहासिक उल्लंघन है जो पूरे प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।

अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस अवैध कृत्य के विरुद्ध कब और क्या ठोस कदम उठाती है।

इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की जा रही है।













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