अंबरनाथ: दिनेश मीरचंदानी
22 करोड़ रुपये के बहुचर्चित जीएसटी घोटाले में गिरफ्तार किए गए अंबरनाथ के युवा उद्यमी निखिल नरेश वलेचा (उम्र 28 वर्ष) को कल्याण सत्र न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने वलेचा को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया, जिससे व्यापारी वर्ग में हलचल के बीच राहत की भावना देखी जा रही है।
निखिल वलेचा, जो अंबरनाथ में बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई व्यवसाय से जुड़े हैं, को 17 जुलाई 2025 को मुंबई के मझगांव इलाके से राज्य कर विभाग (State Tax Department) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उन पर महाराष्ट्र वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 132(1)(c) के तहत फर्जी इनवॉइस के माध्यम से लगभग ₹20.20 करोड़ की जीएसटी चोरी का गंभीर आरोप है।
📌 कोर्ट ने कहा – निरंतर हिरासत उचित नहीं
माननीय सत्र न्यायाधीश पी. आर. अस्हतुरकर ने यह मानते हुए जमानत स्वीकृत की कि आरोपी की निरंतर न्यायिक हिरासत 'पूर्व-ट्रायल दंड' जैसी प्रतीत हो रही है, जो न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
📌 वकील की दलील – सहयोग कर रहे हैं वलेचा, झूठा फंसाया गया
सुनवाई के दौरान वलेचा के अधिवक्ता अर्जुन भोजराज जेसवानी ने यह प्रस्तुत किया कि:
वलेचा एक सम्मानित व्यापारी हैं और 2023 से जांच में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।
उन्होंने विभाग को ₹2.5 करोड़ की कर राशि स्वयं जमा कराई है।
अब तक कोई औपचारिक एफआईआर या चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है, जो गिरफ्तारी को संदिग्ध बनाता है।
📌 जमानत की शर्तें
न्यायालय ने वलेचा को ₹50,000 के निजी मुचलके एवं समान राशि की एक जमानती (surety) की शर्त पर रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही, जमानत की सख्त शर्तें निर्धारित की गईं:
आरोपी जांच में पूर्ण सहयोग करेंगे।
किसी भी प्रकार से सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे।
जमानत अवधि में कोई आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे।
📌 क्या है पूरा मामला?
विभागीय जांच में यह सामने आया कि वलेचा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी फर्म के माध्यम से फर्जी कंपनियों के नाम पर इनवॉइस जनरेट किए, जिससे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की गई।
हालांकि, अब जब अदालत ने उन्हें जमानत दी है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस प्रकरण की आगे की जांच किस दिशा में जाती है और क्या विभाग उन पर चार्जशीट दायर करता है या नहीं।
📝 नोट: यह मामला व्यापारिक और कर प्रशासन से जुड़े बड़े मामलों में से एक माना जा रहा है, और इसकी कानूनी व प्रशासनिक प्रगति पर उद्योग जगत की पैनी नजर बनी हुई है।
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