उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) के टाउन प्लानिंग (TPD) विभाग के जूनियर इंजीनियर संजय युवराज पवार की ट्रांसफर को लेकर शहर में तीव्र विरोध और सवालों की हवा तेज हो गई है।
शहर के जागरूक नागरिकों, आविभिन्न सामाजिक संगठनों और एक्टिविस्टों ने उल्हासनगर महानगर पालिक आयुक्त मनीषा अव्हाले तथा प्रशासन से यह पूछा है कि सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन होने के बावजूद अभी तक संजय पवार की बदली क्यों नहीं की गई?
महाराष्ट्र सरकारी सेवा नियमों के अनुसार किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण हर 3 वर्षों में अनिवार्य है, लेकिन संजय पवार पिछले 10 से अधिक वर्षों से लगातार TPD विभाग में पदस्थापित हैं।
नियमों की यह अवहेलना नागरिकों के बीच गंभीर संदेह और असंतोष का कारण बन रही है।
🚨 गंभीर भ्रष्टाचार और सांठगांठ के आरोप
सूत्रों के अनुसार, संजय युवराज पवार पर अवैध निर्माण को संरक्षण देने, बिल्डर और भूमाफिया से मिलीभगत, तथा TDR से जुड़े अनियमित कार्यों में संलिप्त होने के गंभीर आरोप हैं।
इसके अलावा, बताया जाता है कि साल 2014 में एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने उन्हें कथित रूप से 50,000 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
इसके बावजूद आज तक न तो विभागीय स्तर पर कोई कठोर कार्रवाई हुई और न ही उनका ट्रांसफर किया गया, जिससे नागरिकों में रोष और बढ़ गया है।
📑 राष्ट्रीय स्तर पर जांच एजेंसियों में शिकायतें
प्राप्त जानकारी के अनुसार, संजय पवार के विरुद्ध
CBI, ACB, ED और आयकर विभाग
जैसी जांच एजेंसियों में भी शिकायतें दाखिल की जा चुकी हैं।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि:
“प्रशासन की खामोशी और लंबे समय तक पदस्थ बने रहना, दोनों ही स्थितियाँ अत्यंत संदिग्ध हैं।”
✊ जनता और सामाजिक संगठनों की स्पष्ट मांग
नागरिकों ने कड़े शब्दों में कहा:
“जब नियम सभी पर समान लागू होते हैं, तो फिर 10 साल से अधिक समय से एक ही पद पर जमे अधिकारी को हटाने में देरी क्यों?”
लोगों की प्रमुख माँग:
संजय युवराज पवार का तत्काल ट्रांसफर किया जाए
सभी आरोपों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और विस्तृत जांच की जाए
❓ अब प्रशासन के सामने बड़े सवाल
👉 क्या उल्हासनगर प्रशासन जनता की आवाज सुनेगा?
👉 क्या संजय युवराज पवार की बहुप्रतीक्षित बदली अब होगी या मामला फिर दबा दिया जाएगा?
👉 क्या नागरिकों को न्यायपूर्ण और पारदर्शी निर्णय मिलेगा?
📍 इस पूरे मामले पर शहर की निगाहें अब UMC प्रशासन और राज्य सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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