उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) के टाउन प्लानिंग विभाग में पिछले एक दशक से अधिक समय से कार्यरत जूनियर इंजीनियर संजय युवराज पवार इन दिनों फिर से गंभीर आरोपों के चलते सुर्खियों में हैं। महाराष्ट्र सरकार के सेवा नियमों और शासन-निर्देश (GR) के अनुसार, कोई भी अधिकारी या कर्मचारी एक ही विभाग में तीन वर्ष से अधिक पदस्थ नहीं रह सकता। निर्धारित अवधि पूरी होने पर उसकी बदली अनिवार्य होती है।
इसके बावजूद, संजय युवराज पवार पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से एक ही पद पर कार्यरत हैं, जिससे यह बड़ा प्रश्न उठ रहा है कि आखिर कौन-सी शक्तियाँ हैं जो उनकी बदली रोक रही हैं?
जागरूक नागरिकों की शिकायतें कई एजेंसियों में दाखिल
सूत्रों के अनुसार, कुछ सजग नागरिकों ने इस विषय को लेकर:
ED (Enforcement Directorate)
CBI (Central Bureau of Investigation)
Anti-Corruption Bureau
Income Tax Department
जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों में शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिनमें गंभीर भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण संरक्षण के आरोप शामिल हैं।
भू-माफिया और बिल्डर लॉबी से सांठगांठ के आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि संजय युवराज पवार उल्हासनगर के भू-माफियाओं और बड़े बिल्डरों के साथ मिलकर काम करते हैं, और शहर में बड़े पैमाने पर अवैध व अनियमित निर्माण को संरक्षण प्रदान करते हैं।
2014 में रिश्वत लेते पकड़े गए थे
यह भी उल्लेखनीय है कि साल 2014 में पवार को एंटी-करप्शन ब्यूरो ने टाउन प्लानिंग विभाग में ही रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उस समय भी मामला गंभीर था, परंतु उसके बाद भी उन्हें निलंबित करने या विभाग से हटाने के बजाए उन्हें पुनः उसी पद पर कार्यरत रहने दिया गया, जो स्वयं में कई सवाल खड़े करता है।
TDR घोटाले और अन्य अनियमितताओं के आरोप
संजय युवराज पवार का नाम हाल ही में उजागर हुए TDR घोटाले सहित अन्य निर्माण-संबंधी घोटालों में भी जोड़ा जा रहा है। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि:
संजय पवार कथित तौर पर कहते हैं:
“मेरा ट्रांसफर करवाना किसी की ताकत में नहीं है। मेरे ऊपर तक मजबूत पकड़ और सेटिंग है। मंत्रालय के अर्बन डेवलपमेंट विभाग के बड़े अधिकारी मेरे समर्थन में हैं। मुझे कोई न हटाएगा और न ही मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता है।”
अब तक एक्शन क्यों नहीं?
इन गंभीर आरोपों और दर्ज शिकायतों के बावजूद, संजय युवराज पवार आज भी टाउन प्लानिंग विभाग में सक्रिय रूप से ड्यूटी पर हैं। यह स्थिति:
राजनीतिक संरक्षण,
प्रशासनिक पंगुता
या संगठित भ्रष्टाचार
जैसे गंभीर प्रश्नों को जन्म दे रही है।
जनता की मांग
उल्हासनगर के जागरूक नागरिकों ने राज्य सरकार, मनपा आयुक्त और जांच एजेंसियों से मांग की है कि:
आरोपों की उच्च-स्तरीय जांच की जाए,
पवार को तत्काल विभाग से हटाया जाए,
सभी TDR और निर्माण अनुमोदनों की समीक्षा की जाए।
क्या सरकार और एजेंसियां कार्रवाई करेंगी?
अब सभी की नज़र इस बात पर है कि:
क्या महाराष्ट्र सरकार नियमों का पालन करवाएगी?
क्या संजय पवार की संरक्षक राजनीतिक शक्तियों का पर्दाफाश होगा?
और क्या उल्हासनगर के विकास को निगल रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी?
यह मामला उल्हासनगर की राजनीति और प्रशासन की साख के लिए अग्निपरीक्षा बन चुका है।

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