(फाइल इमेज)
उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
महाराष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा टीडीआर घोटाला उजागर होने की संभावना जताई जा रही है। 2000 करोड़ रुपये से अधिक की इस धोखाधड़ी में उल्हासनगर महानगर पालिका के वरिष्ठ अधिकारियों और बड़े बिल्डरों के शामिल होने का संदेह है।
कैसे हुआ घोटाला?
सूत्रों के मुताबिक, फर्जी ट्रांसफरबल डेवलपमेंट राइट्स (TDR) का इस्तेमाल कर अवैध इमारतों को मंजूरी दी गई। इस अनियमितता के कारण सरकारी खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है, और उल्हासनगर का शहरी विकास पूरी तरह सवालों के घेरे में आ गया है।
शहर में हड़कंप, सरकार और जांच एजेंसियां सतर्क
महाराष्ट्र सरकार इस मामले में विशेष जांच दल (SIT) या आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से जांच कराए जाने की संभावना जताई जा रही है।
बिल्डरों और अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग
शहर के नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस घोटाले के दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। यदि यह घोटाला सिद्ध होता है, तो इसमें शामिल बिल्डरों की संपत्ति जब्त हो सकती है, और दोषी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज हो सकता है।
क्या ध्वस्त होंगी अवैध इमारतें?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फर्जी टीडीआर के जरिए बनी इमारतें अवैध साबित होती हैं, तो सैकड़ों इमारतों को गिराया जा सकता है। इससे न केवल निर्माण क्षेत्र में हलचल मच जाएगी, बल्कि कई निवेशकों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
उल्हासनगर के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला?
2000 करोड़ रुपये से अधिक की इस वित्तीय गड़बड़ी को देखते हुए यह घोटाला उल्हासनगर महानगरपालिका के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार दोषियों को सजा दिलाने में सफल होगी, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह राजनीतिक प्रभाव में दब जाएगा?
शहर के कई नामी बिल्डरों और उल्हासनगर महानगर पालिका के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला किया गया है। और जल्द ही उनके नाम भी जाहिर किये जायेंगे!
आगे की जानकारी के लिए जुड़े रहें!
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें