उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) में करोड़ों रुपये के फर्जी बिल घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस पूरे घोटाले की कमान "शंकर" नामक एक व्यक्ति के हाथ में है, जो वर्षों से पीडब्ल्यूडी विभाग के भीतर जाली बिल तैयार कर करोड़ों का गोरखधंधा चला रहा है।
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में पीडब्ल्यूडी के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं, जो शंकर को फर्जी बिलों के बदले 3% कमीशन देते हैं। घोटाले का यह नेटवर्क ठेकेदारी कार्यों के नाम पर सरकारी धन की खुलकर लूट कर रहा है।
🔍 ऑफिस की जांच से खुल सकते हैं कई राज़
विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि शंकर के कार्यालय की यदि निष्पक्ष और गहराई से जांच की जाए, तो वहां दो नंबर के भारी मात्रा में बिल, नकली दस्तावेज और अवैध लेनदेन के सबूत मिल सकते हैं। कुछ का मानना है कि शंकर का दफ्तर मनपा परिसर के आसपास ही था, लेकिन हाल ही में उसने अपने ठिकाने को गोपनीय रूप से अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया है।
⚠️ जनता में आक्रोश, जांच की मांग तेज
इस गंभीर घोटाले को लेकर उल्हासनगर के नागरिकों और सामाजिक संगठनों में तीव्र आक्रोश देखा जा रहा है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए और दोषियों को बिना राजनीतिक दबाव के सख्त से सख्त सजा दी जाए।
🏛️ सरकारी धन की खुली लूट पर उठे सवाल
मनपा में पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार का मामला बेहद संगठित और बड़े पैमाने पर है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटाला उल्हासनगर की आर्थिक स्थिरता और आम नागरिकों के विश्वास को गहरा झटका दे सकता है।
इस मामले पर अब सभी की नजरें प्रशासन और जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या दोषियों पर गिरेगी गाज, या फिर एक और घोटाला दबा दिया जाएगा?