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उल्हासनगर में शिव भोजन योजना में फर्जीवाड़ा, जल्द हो सकती है जांच।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही शिव भोजन योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, योजना के तहत जरूरतमंदों को सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध कराने के नाम पर भारी अनियमितताएं हो रही हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, भोजन की आपूर्ति में गड़बड़ी की जा रही है। जरूरतमंदों को कम भोजन दिया जा रहा है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में अधिक संख्या दिखाई जा रही है। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।

कैसे हो रही है गड़बड़ी?

सूत्रों के अनुसार, कुछ संचालक गरीबों को भोजन कम मात्रा में वितरित कर रहे हैं, लेकिन सरकारी कागजों में पूरी आपूर्ति दिखाकर बड़े पैमाने पर राशि का गबन कर रहे हैं। इसके अलावा, कई स्थानों पर खाना बेहद निम्न गुणवत्ता का है, जिससे गरीबों को सही लाभ नहीं मिल पा रहा।

सरकार कर सकती है जांच

शिव भोजन योजना को लेकर सामने आए इस घोटाले की जानकारी सरकार तक पहुंच चुकी है। प्रशासन जल्द ही इसकी विस्तृत जांच कर सकता है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना है।

गरीबों के हक के इस भोजन में भ्रष्टाचार होने से आम जनता में आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कठोर कदम उठाया जाए।










कैट के आदेश से सरकार बैकफुट पर, आईआरएस अधिकारी सामीर वानखेड़े को फिर से मुंबई में किया जाएगा बहाल।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी सामीर वानखेड़े के मुंबई से चेन्नई स्थानांतरण को अवैध और मनमाना करार देते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद वानखेड़े को उनकी मुंबई पदस्थापना पर बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं।

यह फैसला सरकारी अधिकारियों के तबादले से जुड़े नियमों पर एक महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप माना जा रहा है। कैट ने स्पष्ट किया कि स्थानांतरण नियमों के अनुसार नहीं किया गया था और यह उनके करियर और पारिवारिक जीवन को नुकसान पहुंचाने वाला था।

स्थानांतरण को बताया नियमों के विरुद्ध

कैट ने अपने फैसले में कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया में नियमों का सही तरीके से पालन नहीं हुआ। इस फैसले से यह साफ संकेत मिलता है कि किसी भी अधिकारी का तबादला मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता।

वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए कैट ने आदेश दिया कि उन्हें मुंबई में उनके पूर्व पद पर ही बहाल किया जाए।

क्या है पूरा मामला?

आईआरएस अधिकारी सामीर वानखेड़े को हाल ही में मुंबई से चेन्नई स्थानांतरित किया गया था। उन्होंने इस स्थानांतरण को अनुचित और नियमों के खिलाफ बताते हुए कैट में अपील दायर की थी।

अपनी याचिका में वानखेड़े ने तर्क दिया कि उनका तबादला बिना उचित प्रक्रिया अपनाए किया गया था, जिससे उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ सकता था।

अब कैट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है और सरकार के तबादला आदेश को रद्द कर दिया है।

सरकारी तबादलों पर उठे सवाल

यह फैसला सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण से जुड़ी प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी अधिकारी का तबादला नहीं किया जा सकता।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश सरकार को स्पष्ट संदेश देता है कि स्थानांतरण के मामलों में नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

अब इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है। क्या सरकार इस आदेश को स्वीकार करेगी या फिर उच्च न्यायालय में चुनौती देगी?

यह फैसला क्यों अहम है?

✔️ कानूनी रूप से गलत स्थानांतरण पर कड़ा संदेश 

✔️ सरकारी अधिकारियों की नौकरी सुरक्षा को मजबूती 

✔️ भविष्य में स्थानांतरण प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की उम्मीद

आगे क्या?

वानखेड़े के स्थानांतरण को कैट द्वारा रद्द किए जाने के बाद, अब सभी की नजर इस पर है कि सरकार इस फैसले को स्वीकार करती है या चुनौती देती है।

यह मामला न केवल सामीर वानखेड़े के करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अन्य सरकारी अधिकारियों के तबादलों से जुड़े नियमों पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले के बाद क्या अगला कदम उठाती है!








पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र सरकार का बड़ा कदम – 100 करोड़ की निधि से होगा वित्तीय प्रबंधन


 

मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए एक अहम फैसला लेते हुए "शंकरराव चव्हाण स्वर्ण महोत्सवी पत्रकार कल्याण निधि" के आर्थिक प्रावधान में महत्वपूर्ण संशोधन की घोषणा की है। यह निर्णय 14 मार्च 2024 के शासन निर्णय में बदलाव करते हुए लिया गया है, जिससे पत्रकारों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।

संशोधित अनुच्छेद क्रमांक 4 के अनुसार, इस योजना के लिए आवश्यक खर्च का वहन सामान्य प्रशासन विभाग की मांग क्रमांक ए-6, 2220- सूचना एवं प्रकाशन, 01- चलचित्र, 001- संचालन एवं प्रशासन (00) (01), प्रकाशन संचालक (2220 0043) 31- सहायक अनुदान (वेतन इतर) (अनिवार्य) से किया जाएगा।

100 करोड़ रुपये की निधि से होगा वित्तीय प्रबंधन

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा किए गए 100 करोड़ रुपये की निधि के ब्याज से भी इस योजना का वित्तीय प्रबंधन किया जाएगा। यह कदम सरकार द्वारा मीडिया क्षेत्र के पेशेवरों को सशक्त करने और उनकी आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

पत्रकारों को मिलेगा सीधा लाभ

इस फैसले से राज्य के पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को बड़ा लाभ मिलेगा। सरकार का यह निर्णय उनकी वित्तीय सहायता सुनिश्चित करेगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगा। पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत लोगों को इससे आर्थिक मजबूती मिलेगी, जिससे वे अपने कार्य को निर्भीक और स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे।

मीडिया जगत में खुशी की लहर

सरकार के इस निर्णय का मीडिया जगत में व्यापक स्वागत किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह निर्णय पत्रकारिता क्षेत्र को सशक्त करेगा और उनकी बेहतरी के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

सरकार की मंशा – स्वतंत्र और सशक्त पत्रकारिता

महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। यह निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि सरकार पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

यह फैसला महाराष्ट्र में मीडिया उद्योग को एक नई दिशा देगा और पत्रकारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल साबित होगा।











उल्हासनगर के इंटीरियर डिजाइनर जीएसटी और आयकर विभाग की जांच के दायरे में..!


(फाइल इमेज)

उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

उल्हासनगर शहर के इंटीरियर डिजाइनरों पर जीएसटी और आयकर विभाग की कड़ी नजर है। सूत्रों के अनुसार, कुछ बड़े इंटीरियर डिजाइनरों पर टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिसके चलते वे जांच के घेरे में आ गए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, जीएसटी और इनकम टैक्स विभाग को संदेह है कि ये व्यवसायी अपनी वास्तविक आय को छुपाकर टैक्स देनदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। हाल के दिनों में अधिकारियों ने कई प्रतिष्ठित इंटीरियर डिजाइनिंग फर्मों और स्वतंत्र पेशेवरों के वित्तीय रिकॉर्ड की गहन जांच शुरू की है।

सूत्र बताते हैं कि कुछ इंटीरियर डिजाइनरों के खिलाफ कर चोरी की शिकायतें मिलने के बाद, विभाग ने उनके बैंक खातों, व्यवसायिक लेन-देन और संपत्तियों की बारीकी से जांच शुरू कर दी है। यदि ठोस प्रमाण मिलते हैं, तो जल्द ही छापेमारी या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

टैक्स नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी और आयकर कानूनों का पालन न करने पर न केवल भारी जुर्माना लग सकता है, बल्कि कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है। अधिकारियों ने व्यापारियों को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने और कर नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी है।

आगे की कार्रवाई जांच के निष्कर्षों पर निर्भर करेगी। व्यापार जगत और आम जनता की नजर अब विभाग की आगामी कार्यवाहियों पर टिकी हुई है।










महाराष्ट्र विधान भवन में बजट सत्र 3 मार्च से प्रारंभ होकर 26 मार्च तक चलेगा, 10 मार्च को पेश होगा महाराष्ट्र राज्य का बजट।


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

 महाराष्ट्र विधान भवन में राज्य का बजट सत्र 3 मार्च से प्रारंभ होकर 26 मार्च तक चलेगा। इस महत्वपूर्ण सत्र में राज्य की वित्तीय नीतियों, आर्थिक योजनाओं और विकास कार्यों पर व्यापक चर्चा होगी।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महाराष्ट्र का बजट 10 मार्च को विधानसभा और विधान परिषद में प्रस्तुत किया जाएगा। यह बजट राज्य की आर्थिक दिशा को तय करने वाला होगा और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश, कल्याणकारी योजनाओं और नई नीतियों को परिभाषित करेगा।

सत्र के दौरान, सरकार के नीतिगत फैसलों और वित्तीय योजनाओं पर चर्चा होने के साथ-साथ विपक्ष भी विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री बजट की प्राथमिकताओं पर विशेष जोर देंगे, जिससे जनता को राहत और राज्य के विकास को गति मिलेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछ सकते हैं।

बजट सत्र के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास जैसे प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।









महाराष्ट्र में ड्रग्स के खिलाफ सख्त ऐलान: पुलिसकर्मी भी दोषी पाए गए तो होगी सीधी बर्खास्तगी – सीएम फडणवीस


मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र में ड्रग्स के बढ़ते खतरे पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा संदेश दिया है। राज्य में अब ड्रग्स से जुड़े मामलों में पुलिसकर्मियों पर भी "जीरो टॉलरेंस" नीति लागू होगी। सीएम फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया कि यदि कोई भी पुलिस अधिकारी या कर्मी ड्रग तस्करी या इससे जुड़े अपराधों में शामिल पाया जाता है, तो उसे सिर्फ निलंबित नहीं, बल्कि सीधे बर्खास्त कर दिया जाएगा।

ड्रग्स माफिया के खिलाफ अब 'सर्जिकल स्ट्राइक'

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि "ड्रग्स का कारोबार समाज को खोखला कर रहा है, और इसे खत्म करने के लिए अब हम सख्त कार्रवाई करेंगे।" उन्होंने पुलिस विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ड्रग्स के मामलों में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई अपराधी हो या खुद कोई पुलिसकर्मी।

राज्य सरकार की इस नई नीति के तहत पुलिस विभाग में भी आंतरिक जांच तेज होगी, और भ्रष्टाचार व मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त कर्मियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

ड्रग्स कारोबार पर लगाम लगाने के लिए बड़े कदम

राज्य सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ अपनी मुहिम को तेज करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं:

✔ ड्रग तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान चलाए जाएंगे। 

✔ स्कूल-कॉलेजों के आसपास विशेष सतर्कता बरती जाएगी। 

✔ पुलिस विभाग के भीतर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि कोई अधिकारी या कर्मचारी ड्रग्स कारोबार में लिप्त न हो। 

✔ ड्रग्स की सप्लाई चेन तोड़ने के लिए अंतरराज्यीय एजेंसियों के साथ समन्वय किया जाएगा।

राज्य सरकार की ऐतिहासिक पहल

महाराष्ट्र सरकार की यह सख्त नीति राज्य में ड्रग्स नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री फडणवीस के इस फैसले के बाद ड्रग्स कारोबार में लिप्त पुलिसकर्मियों और अपराधियों में हड़कंप मच गया है।

जनता की अपील – "ड्रग्स मुक्त महाराष्ट्र"

सरकार के इस फैसले का सामाजिक संगठनों और आम जनता ने स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए यह सख्त कदम बेहद जरूरी था।

महाराष्ट्र अब ड्रग्स मुक्त समाज की ओर कदम बढ़ा चुका है, और मुख्यमंत्री फडणवीस के इस निर्णय को एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।










उल्हासनगर SDO कार्यालय में घोटाले की बू, प्रशासन पर उठे सवाल – उच्चस्तरीय जांच की मांग।


उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

ब्रिटिश काल से पुलिस के कब्जे में रहे प्लॉट की सनद जारी होने पर बवाल!

उल्हासनगर में सरकारी प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। SDO कार्यालय में कथित अनियमितताओं और बाहरी प्रभाव में लिए जा रहे फैसलों को लेकर स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में प्रशासनिक स्तर पर बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।

पुलिस के अधीन रहे प्लॉट की सनद कैसे जारी हुई?

उल्हासनगर के BK No. 1257 और 1258 प्लॉट, जो ब्रिटिश शासनकाल से पुलिस विभाग के कब्जे में थे, उनकी सनद (अधिकार पत्र) आखिर कैसे जारी की गई? यह एक गंभीर सवाल बन गया है। स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो यह प्लॉट ऐतिहासिक रूप से सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज थे, लेकिन हाल ही में जारी की गई सनदों ने प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर सत्ता और पैसों के खेल का नतीजा?

श्मशान भूमि की दफन भूमि पर भी संकट?

इस पूरे मामले में एक और गंभीर आरोप सामने आ रहा है। श्मशान भूमि में स्थित बच्चों की दफन भूमि की भी सनद जारी करने की योजना बनाई जा रही है। अगर यह सच साबित हुआ, तो यह धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने वाला एक संवेदनशील मामला होगा।

क्या SDO बाहरी दबाव में काम कर रहे हैं?

सूत्रों के मुताबिक, SDO कार्यालय में कुछ बाहरी लोग आकर SDO साहब को निर्देशित कर रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर फैसले लिए जा रहे हैं। यदि ये आरोप सही हैं, तो यह एक बड़ा प्रशासनिक घोटाला साबित हो सकता है। सरकारी कार्यालयों में बाहरी हस्तक्षेप प्रशासनिक निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

जांच और सख्त कार्रवाई की मांग

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई संगठनों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला बड़े स्तर पर विरोध और आंदोलन का रूप ले सकता है।

प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी, वरना यह घोटाला जल्द ही एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आ सकता है!