महाराष्ट्र के सांगली जिले के 62 वर्षीय सुखदेव गणपती शिंदे, जो गंभीर आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, को पेशाब की नली में बड़ी गांठ की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। यह गांठ कैंसरग्रस्त नहीं थी, जिसके चलते उन्हें सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत इलाज मिलने में कठिनाई हो रही थी।
हालात से परेशान श्री शिंदे ने अपनी समस्या सामाजिक कार्यकर्ता कपिल पाटील को बताई। मामले की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने इसे सीधे आयुष्मान भारत मिशन महाराष्ट्र समिति के प्रमुख डॉ. ओमप्रकाश शेटे के संज्ञान में लाया। डॉ. शेटे ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सिद्धिविनायक गणपती हॉस्पिटल, मिरज के प्रशासन से तत्काल इलाज शुरू करने का निर्देश दिया।
ऑपरेशन सफल, रिपोर्ट ने दी राहत
हॉस्पिटल प्रशासन ने बिना किसी देरी के श्री शिंदे की सर्जरी की और गांठ की जांच के लिए नमूने भेजे। राहत की बात यह रही कि रिपोर्ट में कैंसर की पुष्टि नहीं हुई, और श्री शिंदे को एक नई जिंदगी मिली। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि सामान्य तौर पर इस जटिल ऑपरेशन का खर्च लगभग 70 से 80 हजार रुपये होता, लेकिन यह पूरा इलाज मुफ्त में उपलब्ध कराया गया।
शिंदे परिवार ने व्यक्त की कृतज्ञता
इलाज के बाद बेहतर स्वास्थ्य की ओर लौटते हुए श्री शिंदे और उनके परिवार ने कपिल पाटील और डॉ. ओमप्रकाश शेटे के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। श्री शिंदे ने कहा, “अगर यह मदद समय पर न मिलती, तो मेरी जिंदगी संकट में पड़ सकती थी। मैं दिल से इन महान व्यक्तियों का आभार व्यक्त करता हूं।”
डॉ. ओमप्रकाश शेटे को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार, डॉ. ओमप्रकाश शेटे के इस सामाजिक सरोकार और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण को देखते हुए, उन्हें जल्द ही महाराष्ट्र सरकार में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे जाने की संभावना जताई जा रही है। उनके मानवीय प्रयासों और मजबूत नेतृत्व की सराहना व्यापक स्तर पर की जा रही है।
यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे सही समय पर उठाया गया कदम किसी की जिंदगी बचा सकता है और सामाजिक सेवा में समर्पित व्यक्तियों के प्रयास किस तरह समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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