मुंबई/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे के हिल लाइन पुलिस स्टेशन द्वारा बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में गिरफ्तार रिया अरविंद बार्डे की तत्काल रिहाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस गिरफ्तारी को गैर-कानूनी करार देते हुए कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी के समय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया और रिया को लिखित रूप में गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी नहीं दी।
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
अदालत ने इस गिरफ्तारी को व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए ठाणे पुलिस की तीखी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि पुलिस का यह रवैया कानून के शासन और नागरिक अधिकारों के लिए खतरा है। इस घटना ने गिरफ्तारी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जिम्मेदारी की कमी को उजागर किया है।
ठाणे पुलिस आयुक्त को जांच का निर्देश
हाईकोर्ट ने ठाणे के पुलिस आयुक्त को इस मामले की गहन जांच करने और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में दोहराई न जाएं, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन
अदालत ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन बताया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही गिरफ्तारी प्रक्रिया को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना, कानूनी अधिकारों के बारे में सूचित करना, और उचित प्रक्रिया का पालन करना शामिल है।
न्यायपालिका की सख्त टिप्पणी
इस मामले में न्यायालय ने साफ कहा कि पुलिस की ऐसी कार्रवाई नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करती है और कानून के प्रति जनता का विश्वास घटाती है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी है और इस मामले में पुलिस की लापरवाही अस्वीकार्य है।
न्यायिक निर्णय का व्यापक असर
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश देशभर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक सख्त संदेश है। यह फैसला नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और पुलिस प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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