उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगर पालिका के जनसंपर्क अधिकारी (PRO) ग्रुप से कई पत्रकारों को अचानक हटाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों की गरिमा और स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्रुप एडमिन द्वारा कुछ पत्रकारों को ग्रुप से हटाने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय किसके निर्देश पर और किस आधार पर लिया गया, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। पत्रकारों का मानना है कि यह कदम उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी और उनके कामकाजी अधिकारों का उल्लंघन है।
पत्रकारों का कहना है कि जनसंपर्क विभाग और महानगर पालिका का यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने इस निर्णय को पत्रकारिता और जनसेवा के महत्व को कम करने वाला बताया है। यह घटना प्रशासन और पत्रकारों के बीच की दूरी को बढ़ा सकती है, जो कि लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।
अब सभी की निगाहें उल्हासनगर महानगर पालिका की कमिश्नर पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या आयुक्त इस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर पत्रकारों को फिर से PRO ग्रुप में जोड़ने का निर्देश देंगी, या यह निर्णय अंतिम रहेगा।
इस पूरे मामले ने उल्हासनगर में चर्चा का विषय बना दिया है और पत्रकार समुदाय ने इसे अपने पेशे की गरिमा के खिलाफ बताया है। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दे और भविष्य में ऐसा कोई कदम न उठाए जिससे पत्रकारिता की स्वतंत्रता प्रभावित हो।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें