उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
अंबरनाथ मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। इस कॉलेज को ग्रामीण हॉस्पिटल बदलापूर, छाया हॉस्पिटल अंबरनाथ, सेंट्रल हॉस्पिटल उल्हासनगर-3 और गवर्नमेंट मैटरनिटी होम उल्हासनगर-4 का प्रशासनिक चार्ज अंबरनाथ मेडिकल कॉलेज के डीन को दिया गया है।
लेकिन इसके बावजूद गरीब मरीजों को आवश्यक उपचार और सर्जरी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं।
सर्जरी बंद — मरीजों को किया जा रहा है जबरन ट्रांसफर
पिछले तीन महीनों से सेंट्रल हॉस्पिटल उल्हासनगर-3 में जनरल सर्जरी पूरी तरह बंद है।
यह आरोप लगाया गया है कि मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा विशेषज्ञ डॉक्टरों को भेजने से लगातार इंकार किया जा रहा है, जिसके कारण गरीब मरीज दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
डीन की निष्क्रियता पर उठ रहे गंभीर प्रश्न
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दायित्व है कि:
स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को संबद्ध सरकारी अस्पतालों में भेजा जाए
छोटी-बड़ी सभी सर्जरी वहीं पर की जाएं
गरीब मरीजों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले
लेकिन इन अस्पतालों में न तो विशेषज्ञ डॉक्टर भेजे जा रहे हैं, और न ही सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जिसके चलते मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है।
समाजसेवक हिरो राजाई की चेतावनी
समाजसेवक हिरो राजाई ने कहा है कि यदि अंबरनाथ मेडिकल कॉलेज की ओर से तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात नहीं किए गए, तथा बदलापूर, अंबरनाथ, उल्हासनगर-3 और 4 के सरकारी अस्पतालों में सभी सर्जरी शुरू नहीं की गईं,
तो वे सेंट्रल हॉस्पिटल के गेट पर भूख हड़ताल करने को बाध्य होंगे।
> “गरीब मरीजों का इलाज रुकना बहुत बड़ा अपराध है। सरकारी सुविधाएँ जनता के लिए हैं, न कि फाइलों में बंद रखने के लिए।”
— हिरो राजाई, समाजसेवक
जनता की मांग
✔ तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती
✔ सभी प्रकार की सर्जरी तत्काल शुरू
✔ गरीब मरीजों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ

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