उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी
उल्हासनगर महानगरपालिका (UMC) के टाउन प्लानिंग विभाग से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में है। विभाग के जूनियर इंजीनियर संजय युवराज पवार पर आरोप है कि उन्होंने शहर में पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुए अवैध और अनियमित निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा स्थानीय निर्माण माफियाओं के साथ उनकी गहरी सांठगांठ रही है।
अवैध निर्माणों में भूमिका का आरोप
शहर के जागरूक नागरिकों का कहना है कि उल्हासनगर में तेजी से बढ़े अवैध निर्माणों के पीछे संजय पवार की सक्रिय भूमिका रही है। आरोप है कि:
अवैध निर्माणों को मौन सहमति,
TDR सेटिंग एवं फाइल क्लियरेंस,
और मंजूरी प्रक्रियाओं में भारी राशि की वसूली की गई।
कई एजेंसियों में शिकायतें दर्ज
सूत्रों के अनुसार, संजय युवराज पवार ने कथित रूप से अवैध आय से कई संपत्तियाँ अर्जित की हैं। इस संबंध में शिकायतें एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB), प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और आयकर विभाग में दर्ज कराई गई हैं। जानकारी मिली है कि इन शिकायतों पर उच्च स्तरीय जांच प्रक्रिया जल्द प्रारंभ होने वाली है।
पुराना रिश्वत कांड फिर चर्चा में
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में UMC टाउन प्लानर मनोज तरानी और जूनियर इंजीनियर संजय पवार पर ₹50,000 की रिश्वत मांगने के आरोप में एंटी करप्शन ब्यूरो ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया था और मामला दर्ज किया गया था। यह प्रकरण एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उस कार्रवाई के बावजूद विभाग में अवैध गतिविधियाँ जारी रहीं।
नागरिकों की नाराजगी — फोन कॉल्स का जवाब नहीं
उल्हासनगर के नागरिकों ने आरोप लगाया है कि संजय पवार जनता की कॉल्स का जवाब नहीं देते, जिससे जनसुविधा और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। नागरिकों का प्रश्न है: "यदि शहर में कोई आपात स्थिति या गंभीर दुर्घटना हो जाए, तब भी क्या वह फोन नहीं उठाएँगे?"
तत्काल प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग
नागरिकों ने उल्हासनगर महानगरपालिका के आयुक्त से तुरंत हस्तक्षेप और कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि भ्रष्टाचार रोका जा सके और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित हो।

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