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सोशल मीडिया यूजर्स के लिए राहत: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66(A) को किया खत्म।


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विवादास्पद धारा 66(A) को असंवैधानिक करार देते हुए इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है। इस फैसले के बाद अब सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले नागरिकों के खिलाफ इस धारा के तहत कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

क्या है धारा 66(A)?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(A) के तहत पुलिस को यह अधिकार था कि वह किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर सकती थी, अगर उसकी सोशल मीडिया पोस्ट को आपत्तिजनक, गलत या भड़काऊ माना जाता। कई बार इस धारा का दुरुपयोग किया गया और आम नागरिकों, पत्रकारों तथा कार्यकर्ताओं को इसका शिकार बनना पड़ा।

सर्वोच्च न्यायालय ने क्यों बताया असंवैधानिक?

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल विवेक सजन ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और पुलिस को मनमाने तरीके से कार्रवाई करने की शक्ति देती है। न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताते हुए माना कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है।

अब क्या होगा?

इस फैसले के बाद फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट करने वाले नागरिक निडर होकर अपनी राय रख सकेंगे। पुलिस अब इस धारा का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं कर सकेगी।

2015 में भी हुई थी आलोचना

गौरतलब है कि 2015 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को असंवैधानिक घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद कुछ मामलों में पुलिस ने इसका उपयोग किया। अब एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि यह धारा पूरी तरह खत्म हो चुकी है और किसी भी स्थिति में इसे लागू नहीं किया जा सकता।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मिला नया आयाम

सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले को लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह निर्णय खासतौर पर उन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के लिए राहत भरा है, जिन्हें पहले अपनी अभिव्यक्ति के कारण कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ता था।

निष्कर्ष

यह निर्णय न केवल सोशल मीडिया यूजर्स के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। अब नागरिक खुलकर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, बिना इस डर के कि उनके खिलाफ कोई अनुचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।












सुशांत सिंह राजपूत केस: CBI ने दाखिल की अंतिम रिपोर्ट, हत्या नहीं आत्महत्या को बताया कारण


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

बहुचर्चित अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने हत्या की संभावना को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे आत्महत्या का मामला बताया है।

CBI जांच में क्या आया सामने?

सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु फांसी लगाने से हुई और उनके शरीर या कपड़ों पर संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हत्या नहीं बल्कि आत्महत्या का मामला है।

एम्स फॉरेंसिक रिपोर्ट भी आई सामने

एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. सुधीर गुप्ता ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में हत्या की संभावना को खारिज किया था। उनका कहना था कि सुशांत की मौत आत्महत्या का मामला है और इस बात की पुष्टि सभी मेडिकल जांचों से हो चुकी है।

14 जून 2020 को हुई थी रहस्यमयी मौत

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को मुंबई स्थित अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे। उनकी मृत्यु के बाद पूरे देश में न्याय की मांग उठी थी और मामला पहले मुंबई पुलिस, फिर CBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) तक पहुंचा था।

क्या यह मामला अब खत्म हो गया?

सीबीआई की इस अंतिम रिपोर्ट के बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच प्रक्रिया पूरी हो गई है। हालांकि, उनके परिवार और फैंस अभी भी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं।

अब देखना होगा कि क्या यह मामला यहीं खत्म होगा या सुशांत के चाहने वाले न्याय के लिए फिर कोई नई कानूनी लड़ाई लड़ेंगे!












झूठे मामले दर्ज करने या सबूत गढ़ने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि झूठे मामले दर्ज करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 ऐसे मामलों में अभियोजन से छूट नहीं देती है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी पुलिस अधिकारी पर झूठा मुकदमा दर्ज करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है, तो यह एक आपराधिक कृत्य है। ऐसे मामलों में CrPC की धारा 197 के तहत अभियोजन के लिए पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि झूठे मामले गढ़ना या दुर्भावनापूर्ण अभियोजन करना पुलिस अधिकारी के आधिकारिक कर्तव्यों का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इस तरह के मामलों में CrPC की धारा 197 के तहत कोई संरक्षण नहीं दिया जा सकता।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक पुलिस अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने CrPC की धारा 197 के तहत अभियोजन से छूट की मांग की थी। अधिकारी पर एक आपराधिक मामले में सबूत गढ़ने का आरोप था।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि CrPC की धारा 197 का संरक्षण केवल उन कृत्यों पर लागू होता है, जो आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के तहत किए जाते हैं। झूठे मुकदमे दर्ज करना या सबूतों से छेड़छाड़ करना आधिकारिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आपराधिक कृत्य हैं।

वकील की दलीलें और कोर्ट की टिप्पणी

मामले में पुलिस अधिकारी के वकील ने तर्क दिया कि कोई भी कार्य जो एक लोक सेवक अपने आधिकारिक दायित्वों के तहत करता है, उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि झूठे मामले दर्ज करना और सबूतों से छेड़छाड़ करना आपराधिक कृत्य हैं, न कि आधिकारिक कर्तव्य।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि CrPC की धारा 197 लोक सेवकों को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाने के लिए है, लेकिन इसका दुरुपयोग अवैध गतिविधियों को छुपाने के लिए नहीं किया जा सकता।

पुलिस अधिकारियों के लिए चेतावनी और प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम

सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला पुलिस कदाचार के मामलों में बड़ा असर डाल सकता है। इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि झूठे मुकदमे दर्ज करने या सबूत गढ़ने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बिना किसी पूर्व अनुमति के कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

इस फैसले के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर जवाबदेही तय होगी और झूठे मामलों में फंसाने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। यह निर्णय पुलिस सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।











भ्रष्टाचार के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जांच की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट


(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई आवश्यक है, जिससे अपराधियों को कानून के शिकंजे से बचने का मौका न मिले।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, तो संबंधित जांच एजेंसी को प्राथमिक जांच करने की बाध्यता नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शर्तें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच प्रक्रिया में अनावश्यक देरी पैदा कर सकती हैं, जिससे न्याय में बाधा उत्पन्न होती है।

इस फैसले के बाद भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी, जिससे दोषियों के खिलाफ जल्द कानूनी कार्यवाही हो सकेगी। यह निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में चल रही मुहिम को और मजबूत करेगा और भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियों को अधिक अधिकार देगा।

क्या है इसका असर?

भ्रष्टाचार के मामलों में अब प्राथमिक जांच की अनिवार्यता खत्म हो गई है।

भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियां सीधे एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर सकती हैं।

मामलों की जांच में तेजी आएगी और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई संभव होगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सरकारी अधिकारियों और अन्य भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे देश में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।









मंगेश सालुंके बने राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष, मानवाधिकारों की रक्षा में नई ऊर्जा।


 



न्यू दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन ने महाराष्ट्र राज्य के प्रदेश अध्यक्ष पद पर मंगेश सालुंके की नियुक्ति की है। इस महत्वपूर्ण पद पर उनकी नियुक्ति डॉ. कुलदीप कुमार मिश्रा, अध्यक्ष, और श्री चन्द्रभान तिवारी, राष्ट्रीय संरक्षक, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली के मार्गदर्शन में की गई है।

मंगेश सालुंके की इस नियुक्ति को मानवाधिकारों के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर एसोसिएशन और नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा, "राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन द्वारा मुझे यह महत्वपूर्ण दायित्व सौंपने के लिए मैं आभारी हूं। मानवाधिकारों की रक्षा और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए मैं पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करूंगा।"

मंगेश सालुंके ने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता मानवाधिकारों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाना और इसे समाज के हर वर्ग तक पहुंचाना होगा।

इस नियुक्ति से महाराष्ट्र राज्य में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा और दिशा मिलेगी। एसोसिएशन के इस कदम की सराहना करते हुए विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि मंगेश सालुंके की नियुक्ति से मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा की दिशा में सार्थक बदलाव आएगा।

संपूर्ण महाराष्ट्र में हर्ष का माहौल: मंगेश सालुंके की नियुक्ति से पूरे महाराष्ट्र में हर्ष का माहौल है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके प्रति अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की हैं और उम्मीद जताई है कि उनके नेतृत्व में राज्य में मानवाधिकारों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।









सुप्रीम कोर्ट से संत आसाराम को बड़ी राहत, स्वास्थ्य आधार पर 31 मार्च तक जमानत मंजूर।


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

देशभर में चर्चित संत आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए स्वास्थ्य के आधार पर 31 मार्च तक जमानत प्रदान कर दी है। यह फैसला उनकी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आसाराम को 31 मार्च तक पेरोल पर रिहा किया जाए।

आसाराम, जो लंबे समय से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, ने अपनी सेहत के आधार पर जमानत की अपील की थी। अदालत ने उनकी बिगड़ती स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इससे पहले भी उन्हें कुछ समय के लिए पेरोल पर छोड़ा गया था, लेकिन यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अवधि में इतनी लंबी वृद्धि की है।

इस फैसले से उनके समर्थकों में खुशी की लहर है, जबकि इसे लेकर अन्य वर्गों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है।








IRS अधिकारी समीर वानखेड़े को राष्ट्रीय सामाजिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।


 

नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

नई दिल्ली में 11 दिसंबर 2024 को आयोजित होने वाला राष्ट्रीय सामाजिक पुरस्कार समारोह इस वर्ष और भी खास होगा, क्योंकि भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के प्रमुख अधिकारी समीर वानखेड़े को उनके अभूतपूर्व सामाजिक और पेशेवर योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।

समीर वानखेड़े, जिन्होंने कर चोरी, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध गतिविधियों पर रोकथाम के क्षेत्र में अपनी कड़ी मेहनत और निष्पक्षता से पहचान बनाई है, को यह पुरस्कार देश के विकास और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उनके योगदान को मान्यता स्वरूप दिया जा रहा है। उनके नेतृत्व में अनेक जटिल मामलों को सुलझाया गया, जिसने न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत किया बल्कि युवाओं को प्रेरित भी किया।

इस भव्य समारोह में देशभर से शीर्ष सरकारी अधिकारी, राजनीतिक नेता, और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल होंगे। यह कार्यक्रम सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में असाधारण कार्य करने वालों को प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है।

राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान:

समीर वानखेड़े का यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत करियर की उपलब्धियों को दर्शाता है, बल्कि यह देश के प्रशासनिक तंत्र की निष्ठा और पारदर्शिता के प्रति विश्वास को भी मजबूत करता है।

कार्यक्रम आयोजकों के अनुसार, यह पुरस्कार समारोह समाज में असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। समीर वानखेड़े का उदाहरण देश के उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो सार्वजनिक सेवा और समाज के प्रति समर्पित होकर योगदान देना चाहते हैं।

11 दिसंबर 2024 को दिल्ली का यह ऐतिहासिक समारोह एक बार फिर से यह साबित करेगा कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और सेवा भावना का हमेशा सम्मान होता है।







आज हो सकता है महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान..!


 नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

नई दिल्ली से आ रही बड़ी राजनीतिक हलचल ने देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। चुनाव आयोग आज महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। यह फैसला देश की राजनीति में हलचल मचाने वाला साबित हो सकता है। दोनों राज्यों के राजनीतिक समीकरणों पर इस घोषणा का गहरा असर होगा, जहां महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई चरम पर है, वहीं झारखंड में भी चुनावी घमासान की पूरी तैयारी हो रही है।

महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष की रस्साकशी पहले से ही सुर्खियों में है, और अब चुनावी तारीखों की घोषणा इस संघर्ष को और तीव्र कर सकती है। झारखंड में भी सत्ता बचाने और विपक्ष को मात देने की कवायदें तेज हो जाएंगी। राजनीतिक दलों की रणनीतियां इस ऐलान के बाद से स्पष्ट होनी शुरू हो जाएंगी।

चुनाव आयोग के इस संभावित ऐलान के बाद पूरे देश का ध्यान इन दो राज्यों की ओर खिंच जाएगा, और सियासी पारा चढ़ने की पूरी संभावना है।







रिया चक्रवर्ती पर 500 करोड़ रुपये के मोबाइल ऐप घोटाले का साया, दिल्ली पुलिस कर रही है गहन जांच।


(फाईल फोटो)

नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। इस बार उनका नाम 500 करोड़ रुपये के विशाल मोबाइल ऐप घोटाले से जुड़ रहा है, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया है। इस घोटाले में रिया की कथित भूमिका की जांच जारी है, और पुलिस का कहना है कि रिया से पूछताछ करना मामले को सुलझाने में बेहद महत्वपूर्ण है।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में स्पष्ट किया, "हमने रिया चक्रवर्ती को समन भेजा है और उनसे विस्तृत पूछताछ की जाएगी। हमें उम्मीद है कि वह जल्द ही पेश होंगी और जांच में सहयोग देंगी। यह घोटाला बेहद संगठित और बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, जिसके तार कई हाई-प्रोफाइल लोगों से जुड़े हो सकते हैं।"

घोटाले में शामिल अन्य लोग पहले ही गिरफ्त में

500 करोड़ रुपये का यह घोटाला एक मोबाइल ऐप के जरिए अंजाम दिया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को ठगा गया। पहले ही कई अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और अब रिया चक्रवर्ती की भूमिका की गंभीरता से जांच हो रही है। पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या रिया केवल एक मोहरा थीं या वह इस घोटाले की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल थीं।

रिया के वकील का बयान: "हम जांच में करेंगे पूरा सहयोग"

रिया चक्रवर्ती के वकील ने इस बात की पुष्टि की कि उन्हें दिल्ली पुलिस का समन मिल गया है। उन्होंने कहा, "हमने पुलिस का समन प्राप्त कर लिया है और हम जल्द ही रिया के साथ पेश होंगे। हम इस मामले में पूरी तरह से जांच में सहयोग करेंगे और हमें विश्वास है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी।"

बॉलीवुड और सोशल मीडिया में उबाल

जैसे ही रिया चक्रवर्ती का नाम इस घोटाले से जुड़ा, बॉलीवुड के गलियारों और सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया। लोग इस मामले को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर रिया का इस घोटाले में कितना गहरा हाथ है। यह घटना रिया के लिए एक और विवाद बनकर उभर रही है, जिन्होंने इससे पहले भी कई बार सुर्खियां बटोरी हैं।

घोटाले में हाई-प्रोफाइल लोगों की संलिप्तता की संभावना

500 करोड़ रुपये के इस मोबाइल ऐप घोटाले में कई नामी चेहरे शामिल हो सकते हैं, और पुलिस ने यह संकेत दिया है कि आगे भी कई लोगों से पूछताछ की जा सकती है। इस घोटाले ने एक बार फिर से भारतीय सिनेमा और बड़े नामों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

रिया की फिर से विवादों में वापसी

रिया चक्रवर्ती, जो पहले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में विवादों में घिर चुकी हैं, अब इस घोटाले के चलते एक बार फिर से कानूनी पचड़ों में फंसती नजर आ रही हैं। हालांकि, अब यह देखना बाकी है कि इस मामले की जांच किस दिशा में जाती है और रिया के करियर और छवि पर इसका क्या असर पड़ेगा।

यह मामला देशभर में तेजी से सुर्खियां बटोर रहा है और सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि रिया चक्रवर्ती की इस घोटाले में असल भूमिका क्या है।







दशहरे के बाद महाराष्ट्र में कभी भी आचार संहिता लागू होने की संभावना, चुनावी सरगर्मी तेज..!



(फाइल फोटो)

न्यू दिल्ली/मुंबई: दिनेश मीरचंदानी 

महाराष्ट्र में चुनावी माहौल अपने चरम पर पहुंच रहा है। दशहरे के बाद किसी भी समय चुनाव आयोग आचार संहिता लागू कर सकता है। इसके बाद राज्य की राजनीतिक गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट चुके हैं और हर पार्टी अपनी रणनीतियों को धार दे रही है।

आचार संहिता लागू होने के साथ ही सरकार की किसी भी नई योजना, घोषणा या शिलान्यास पर रोक लग जाएगी। यह कदम चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए उठाया जाता है, ताकि जनता बिना किसी प्रभाव के अपना प्रतिनिधि चुन सके। 

महाराष्ट्र की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपनी जनसभाओं और प्रचार अभियानों को तेज कर दिया है। अगले कुछ दिनों में राजनीतिक माहौल और गरमाने की उम्मीद है। अब सबकी नजरें चुनाव आयोग की घोषणा पर टिकी हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव में कौन सी पार्टी अपनी जीत सुनिश्चित कर पाएगी।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आगामी चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे, क्योंकि सत्ता हासिल करने के लिए हर दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है।







भारत के सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर साइबर हमला..!


(फाइल फोटो)

न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

भारत के सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को हैक कर लिया गया है, जिसका उपयोग अदालत की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने के लिए किया जाता था। हैकिंग के बाद, चैनल का नाम "रिपल" दिखाई दे रहा था और इसमें अमेरिकी कंपनी रिपल लैब्स की क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित वीडियोज़ दिखाई दे रहे थे।

अब, चैनल का लिंक डिसएबल कर दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है । यह घटना साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उठाती है।





वन नेशन वन इलेक्शन: मोदी कैबिनेट की मंजूरी से देश में एक ही समय पर चुनाव कराने की योजना को हरी झंडी मिल गई है..।


 

न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य देश में एक ही समय पर सभी चुनाव कराना है इस फैसले चुनाव आयोग के से संसाधनों की बचत होगी, विकास और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा, और लोकतंत्र की नींव मजबूत होगी। और एक ही मतदाता सूची बनाई जाएगी।

यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है।





प्रधानमंत्री मोदी ने चीफ जस्टिस के निवास स्थान पर गणपति की आरती की।


 


न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ के निवास स्थान पर जाकर गणपति की आरती की और दर्शन किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने गणेश जी की पूजा की और उनके आशीर्वाद प्राप्त किए। यह एक महत्वपूर्ण घटना है, जो देश के सर्वोच्च नेता और न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को दर्शाती है।





70 साल से अधिक उम्र के सभी लोग आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा कवरेज के लिए पात्र होंगे: केंद्र सरकार।


(फाइल फोटो)

न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलेगा।

इस निर्णय से देश के लाखों बुजुर्ग लोग लाभान्वित होंगे और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच मिलेगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत, सरकार ने पहले ही 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने का लक्ष्य रखा था।

अब 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी इस योजना के तहत कवर किया जाएगा, जिससे वे अपने स्वास्थ्य के लिए बेहतर देखभाल प्राप्त कर सकेंगे।





शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस विधायक अयोग्यता मामले में सुनवाई स्थगित..!


(फाइल इमेज)

नई दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस विधायक अयोग्यता मामले की सुनवाई कल फिर स्थगित, दोनों मामलों पर अब गुरुवार को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्राचूड़ की अनुपस्थिति के कारण कल की सुनवाई स्थगित कर दी गई है।

यह मामला शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायकों की अयोग्यता से संबंधित है, जिसमें दोनों पार्टियों के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। इस मामले में कल सुनवाई होनी थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्राचूड़ की अनुपस्थिति के कारण इसे गुरुवार के लिए स्थगित कर दिया गया है।





सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चार्जशीट के बाद भी हाई कोर्ट कर सकता है FIR रद्द।


(फाइल इमेज)

नई दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर किसी मामले में कार्यवाही प्रक्रिया का दुरुपयोग होता है, तो हाई कोर्ट चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर रद्द कर सकता है। यह फैसला क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत आया है।

इस फैसले से उन मामलों में राहत मिल सकती है जहां झूठे या फर्जी मामले दर्ज किए गए हों। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हाई कोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर रद्द कर सकता है, अगर वह पाता है कि मामला झूठा या फर्जी है।