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आईपीएल की आड़ में हाई-टेक सट्टेबाज़ी का भंडाफोड़: गोवा पुलिस की बड़ी कार्रवाई, उल्हासनगर से जुड़े तार।


पणजी/उल्हासनगर: दिनेश मीरचंदानी 

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट की आड़ में संचालित हो रहे एक हाई-टेक और संगठित सट्टेबाज़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गोवा पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस सट्टेबाज़ी नेटवर्क की जड़ें महाराष्ट्र के उल्हासनगर शहर से जुड़ी पाई गई हैं, जो न केवल तकनीक का दुरुपयोग कर रहा था बल्कि युवाओं के भविष्य और मानसिक स्थिति को भी गहरे संकट में डाल रहा था।

मुख्य आरोपी फरार, पूरे राज्य में जारी है सर्च ऑपरेशन

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि इस सट्टेबाज़ी रैकेट का संचालन अवि इसरानी और गिरिष जेसवानी नामक दो आरोपियों द्वारा किया जा रहा था, जो उल्हासनगर के निवासी हैं। दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं और उनके खिलाफ पहले से भी कई खुफिया जानकारियाँ पुलिस को प्राप्त थीं। गोवा में बढ़ती निगरानी से बचने के लिए इन आरोपियों ने वहां से अपना नेटवर्क चलाना शुरू किया और आईपीएल जैसे मेगा-इवेंट को हथियार बनाकर करोड़ों रुपये की सट्टेबाज़ी को अंजाम दे रहे थे।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और क्रिप्टो के जरिए किया जा रहा था लेनदेन

गिरोह द्वारा मोबाइल ऐप्स, वर्चुअल वॉलेट्स, फर्जी बैंक खातों और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर लेनदेन किया जा रहा था, ताकि कानूनी निगरानी से बचा जा सके। अब तक दो आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ के बाद और भी नाम सामने आने की संभावना है। जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी गई है, जिससे महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है।

कॉलेज और बेरोजगार युवाओं को बना रहे थे निशाना

इस रैकेट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह गिरोह कॉलेज विद्यार्थियों और बेरोजगार युवाओं को 'झटपट कमाई' का लालच देकर सट्टेबाज़ी में फंसा रहा था। उल्हासनगर जैसे शहरी क्षेत्रों में पहले से मौजूद मानसिक तनाव और बेरोजगारी की स्थितियों का लाभ उठाकर यह गिरोह युवाओं को अपराध की दलदल में धकेल रहा था, जिससे समाज में गंभीर सामाजिक और मानसिक प्रभाव उत्पन्न हो रहे हैं।

प्रशासनिक और सुरक्षा एजेंसियों से की गई चार महत्वपूर्ण मांगें

मंत्रालय टाइम्स इस गंभीर और सुनियोजित अपराध के विरुद्ध प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों से निम्नलिखित ठोस कदम उठाने की मांग करता है:

1. मुख्य आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित कर उनके विरुद्ध महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जाए।

2. गिरोह से जुड़े आर्थिक स्रोतों की गहन जांच कर उनकी संपत्तियों को तत्काल ज़ब्त किया जाए।

3. युवाओं को सट्टेबाज़ी और साइबर अपराध से बचाने हेतु विशेष जागरूकता अभियान, परामर्श केंद्रों और साइबर हेल्पलाइन की स्थापना की जाए।

4. गोवा और उल्हासनगर पुलिस के बीच समन्वय हेतु एक विशेष अंतरराज्यीय सेल का गठन किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे नेटवर्कों पर त्वरित और समन्वित कार्रवाई की जा सके।

यह केवल आर्थिक नहीं, सामाजिक हमला है

यह मामला केवल अवैध धन कमाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की बुनियाद, युवा पीढ़ी की मानसिकता और उनके भविष्य पर एक सुनियोजित हमला है। अब समय आ गया है कि हम न सिर्फ ऐसे अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुँचाएं, बल्कि अपने युवाओं को अपराध की दुनिया से बाहर निकालकर उन्हें सुरक्षित, जिम्मेदार और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करें।












मुंबई पुलिस को बड़ा झटका: डीसीपी सुधाकर पठारे की सड़क दुर्घटना में मौत।



हैदराबाद: दिनेश मीरचंदानी 

मुंबई पुलिस के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित अधिकारी, डीसीपी (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) डॉ. सुधाकर पठारे की शनिवार को एक भीषण सड़क दुर्घटना में दुखद मृत्यु हो गई। यह हादसा इतना भयावह था कि उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। उनकी असामयिक मृत्यु की खबर से मुंबई पुलिस विभाग सहित पूरे प्रशासनिक तंत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

डॉ. सुधाकर पठारे अपने कार्यों और अनुकरणीय सेवाओं के लिए जाने जाते थे। वे एक अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ और सम्मानित अधिकारी थे, जिन्होंने अपने वर्षों के प्रशासनिक अनुभव से पुलिस विभाग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया

दुर्घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, डॉ. सुधाकर पठारे आधिकारिक प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद में थे। इसी दौरान, जब वे एक रिश्तेदार के साथ मंदिर दर्शन के लिए जा रहे थे, तो उनकी कार एक भीषण हादसे का शिकार हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और मौके पर ही डॉ. पठारे एवं उनके रिश्तेदार की मृत्यु हो गई।

पुलिस विभाग में शोक की लहर

मुंबई पुलिस विभाग ने डॉ. सुधाकर पठारे के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वे एक प्रेरणादायक नेता और पुलिस बल के मजबूत स्तंभ थे। उनके सहकर्मियों और अधीनस्थों ने उन्हें एक ईमानदार, साहसी और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में याद किया, जिन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस दुर्घटना की खबर मिलते ही पूरे पुलिस प्रशासन में गहरा दुःख छा गया है। अधिकारी और कर्मी उनके असमय निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं। उनकी अंतिम यात्रा में कई वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस कर्मी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे।

डॉ. सुधाकर पठारे का जाना पुलिस विभाग के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कर्तव्यपरायणता और नेतृत्व क्षमता हमेशा याद रखी जाएगी।












सोशल मीडिया यूजर्स के लिए राहत: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66(A) को किया खत्म।


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विवादास्पद धारा 66(A) को असंवैधानिक करार देते हुए इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है। इस फैसले के बाद अब सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले नागरिकों के खिलाफ इस धारा के तहत कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

क्या है धारा 66(A)?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(A) के तहत पुलिस को यह अधिकार था कि वह किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर सकती थी, अगर उसकी सोशल मीडिया पोस्ट को आपत्तिजनक, गलत या भड़काऊ माना जाता। कई बार इस धारा का दुरुपयोग किया गया और आम नागरिकों, पत्रकारों तथा कार्यकर्ताओं को इसका शिकार बनना पड़ा।

सर्वोच्च न्यायालय ने क्यों बताया असंवैधानिक?

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल विवेक सजन ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और पुलिस को मनमाने तरीके से कार्रवाई करने की शक्ति देती है। न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताते हुए माना कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है।

अब क्या होगा?

इस फैसले के बाद फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट करने वाले नागरिक निडर होकर अपनी राय रख सकेंगे। पुलिस अब इस धारा का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं कर सकेगी।

2015 में भी हुई थी आलोचना

गौरतलब है कि 2015 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को असंवैधानिक घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद कुछ मामलों में पुलिस ने इसका उपयोग किया। अब एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि यह धारा पूरी तरह खत्म हो चुकी है और किसी भी स्थिति में इसे लागू नहीं किया जा सकता।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मिला नया आयाम

सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले को लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह निर्णय खासतौर पर उन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के लिए राहत भरा है, जिन्हें पहले अपनी अभिव्यक्ति के कारण कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ता था।

निष्कर्ष

यह निर्णय न केवल सोशल मीडिया यूजर्स के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। अब नागरिक खुलकर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, बिना इस डर के कि उनके खिलाफ कोई अनुचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।












भ्रष्टाचार के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जांच की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट


(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई आवश्यक है, जिससे अपराधियों को कानून के शिकंजे से बचने का मौका न मिले।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, तो संबंधित जांच एजेंसी को प्राथमिक जांच करने की बाध्यता नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शर्तें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच प्रक्रिया में अनावश्यक देरी पैदा कर सकती हैं, जिससे न्याय में बाधा उत्पन्न होती है।

इस फैसले के बाद भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई संभव हो सकेगी, जिससे दोषियों के खिलाफ जल्द कानूनी कार्यवाही हो सकेगी। यह निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में चल रही मुहिम को और मजबूत करेगा और भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियों को अधिक अधिकार देगा।

क्या है इसका असर?

भ्रष्टाचार के मामलों में अब प्राथमिक जांच की अनिवार्यता खत्म हो गई है।

भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियां सीधे एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर सकती हैं।

मामलों की जांच में तेजी आएगी और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई संभव होगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सरकारी अधिकारियों और अन्य भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे देश में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।









सुप्रीम कोर्ट से संत आसाराम को बड़ी राहत, स्वास्थ्य आधार पर 31 मार्च तक जमानत मंजूर।


नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

देशभर में चर्चित संत आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए स्वास्थ्य के आधार पर 31 मार्च तक जमानत प्रदान कर दी है। यह फैसला उनकी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आसाराम को 31 मार्च तक पेरोल पर रिहा किया जाए।

आसाराम, जो लंबे समय से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, ने अपनी सेहत के आधार पर जमानत की अपील की थी। अदालत ने उनकी बिगड़ती स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इससे पहले भी उन्हें कुछ समय के लिए पेरोल पर छोड़ा गया था, लेकिन यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अवधि में इतनी लंबी वृद्धि की है।

इस फैसले से उनके समर्थकों में खुशी की लहर है, जबकि इसे लेकर अन्य वर्गों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है।








नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े ने भरी नई उम्मीद की किरण: नशा मुक्ति और सिविल सेवा के लिए युवाओं को किया प्रेरित।


 








छत्तीसगढ़: दिनेश मीरचंदानी 

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अतिरिक्त आयुक्त समीर वानखेड़े ने अपने प्रभावशाली दौरे के जरिए युवाओं और समुदायों में जागरूकता और प्रेरणा का नया अध्याय लिखा। उनका यह दौरा न केवल नशा मुक्त जीवन का संदेश देने के लिए था, बल्कि युवाओं को सिविल सेवाओं में करियर बनाकर राष्ट्र सेवा के प्रति प्रेरित करने के लिए भी था।

नशा मुक्ति: खामोश कातिल के खिलाफ जंग

वानखेड़े ने इन क्षेत्रों के युवाओं और स्थानीय निवासियों को नशे के गंभीर खतरों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने इसे "खामोश कातिल" करार देते हुए कहा कि नशा व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर समाज को खोखला कर देता है। उन्होंने नशे से दूर रहकर खेल, शारीरिक फिटनेस और सकारात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

सिविल सेवा: राष्ट्र सेवा का माध्यम

समीर वानखेड़े ने युवाओं से सिविल सेवाओं में शामिल होने का आह्वान किया और इसे न केवल करियर बल्कि राष्ट्र सेवा का प्रभावशाली माध्यम बताया। उन्होंने कहा, "सिविल सेवाओं के माध्यम से युवा न केवल अपने जीवन को बदल सकते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी योगदान दे सकते हैं।"

उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे अपने समुदाय के लिए रोल मॉडल बनें और सशक्त नेतृत्व के जरिए अपने समाज को नक्सलवाद और नशे की जकड़न से बाहर निकालें।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नई ऊर्जा का संचार

वानखेड़े का यह दौरा नक्सल प्रभावित इलाकों में एक नई उम्मीद की किरण साबित हुआ। उनके प्रयासों ने वहां के युवाओं को आत्मविश्वास और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनके मार्गदर्शन ने न केवल नशा मुक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि युवाओं को सिविल सेवाओं के महत्व और उसके जरिए समाज में बदलाव लाने की ताकत का अहसास कराया।

समाज सेवा का आदर्श उदाहरण

समीर वानखेड़े का यह दौरा यह साबित करता है कि जब जिम्मेदार अधिकारी समाज के उत्थान के लिए सक्रिय भूमिका निभाते हैं, तो वह क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की लहर पैदा कर सकते हैं। उनकी इस पहल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं के जीवन को बदलने की शुरुआत की है।

उनकी इस प्रेरक यात्रा को न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है। यह पहल समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए एक आदर्श उदाहरण बन गई है, जो यह दिखाती है कि सच्चा बदलाव विचार और कर्म दोनों से आता है।

समीर वानखेड़े का यह प्रयास छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के युवाओं के लिए एक नई दिशा का प्रतीक बन गया है, जो उन्हें नशा मुक्त और सशक्त भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।








मानखुर्द-शिवाजीनगर से नवाब मलिक की उम्मीदवारी रद्द: दिल्ली की महायुति बैठक में बड़ा राजनीतिक उलटफेर..!


(फाइल फोटो)

दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

दिल्ली में चल रही महायुति की महत्वपूर्ण बैठक में एक बड़ा राजनीतिक धक्का सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, एनसीपी (अजीत पवार गुट) के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक की मानखुर्द-शिवाजीनगर से उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया है। इस अप्रत्याशित निर्णय ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है और इससे चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है।

नवाब मलिक, जो अजीत पवार गुट के प्रमुख नेताओं में से एक हैं, उनकी उम्मीदवारी का रद्द होना महायुति की रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। यह निर्णय आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर सीधे असर डाल सकता है, जहां सभी राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण साधने के लिए प्रयासरत हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है और महायुति से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी सामने आ सकते हैं। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में नई प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है, जिससे आगामी चुनावों का माहौल और भी रोचक हो सकता है। सभी की निगाहें अब इस फैसले के बाद होने वाले संभावित बदलावों पर हैं।






आज हो सकता है महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान..!


 नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

नई दिल्ली से आ रही बड़ी राजनीतिक हलचल ने देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। चुनाव आयोग आज महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। यह फैसला देश की राजनीति में हलचल मचाने वाला साबित हो सकता है। दोनों राज्यों के राजनीतिक समीकरणों पर इस घोषणा का गहरा असर होगा, जहां महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई चरम पर है, वहीं झारखंड में भी चुनावी घमासान की पूरी तैयारी हो रही है।

महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष की रस्साकशी पहले से ही सुर्खियों में है, और अब चुनावी तारीखों की घोषणा इस संघर्ष को और तीव्र कर सकती है। झारखंड में भी सत्ता बचाने और विपक्ष को मात देने की कवायदें तेज हो जाएंगी। राजनीतिक दलों की रणनीतियां इस ऐलान के बाद से स्पष्ट होनी शुरू हो जाएंगी।

चुनाव आयोग के इस संभावित ऐलान के बाद पूरे देश का ध्यान इन दो राज्यों की ओर खिंच जाएगा, और सियासी पारा चढ़ने की पूरी संभावना है।







रिया चक्रवर्ती पर 500 करोड़ रुपये के मोबाइल ऐप घोटाले का साया, दिल्ली पुलिस कर रही है गहन जांच।


(फाईल फोटो)

नई दिल्ली: दिनेश मीरचंदानी 

बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। इस बार उनका नाम 500 करोड़ रुपये के विशाल मोबाइल ऐप घोटाले से जुड़ रहा है, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया है। इस घोटाले में रिया की कथित भूमिका की जांच जारी है, और पुलिस का कहना है कि रिया से पूछताछ करना मामले को सुलझाने में बेहद महत्वपूर्ण है।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में स्पष्ट किया, "हमने रिया चक्रवर्ती को समन भेजा है और उनसे विस्तृत पूछताछ की जाएगी। हमें उम्मीद है कि वह जल्द ही पेश होंगी और जांच में सहयोग देंगी। यह घोटाला बेहद संगठित और बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, जिसके तार कई हाई-प्रोफाइल लोगों से जुड़े हो सकते हैं।"

घोटाले में शामिल अन्य लोग पहले ही गिरफ्त में

500 करोड़ रुपये का यह घोटाला एक मोबाइल ऐप के जरिए अंजाम दिया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को ठगा गया। पहले ही कई अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और अब रिया चक्रवर्ती की भूमिका की गंभीरता से जांच हो रही है। पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या रिया केवल एक मोहरा थीं या वह इस घोटाले की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल थीं।

रिया के वकील का बयान: "हम जांच में करेंगे पूरा सहयोग"

रिया चक्रवर्ती के वकील ने इस बात की पुष्टि की कि उन्हें दिल्ली पुलिस का समन मिल गया है। उन्होंने कहा, "हमने पुलिस का समन प्राप्त कर लिया है और हम जल्द ही रिया के साथ पेश होंगे। हम इस मामले में पूरी तरह से जांच में सहयोग करेंगे और हमें विश्वास है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी।"

बॉलीवुड और सोशल मीडिया में उबाल

जैसे ही रिया चक्रवर्ती का नाम इस घोटाले से जुड़ा, बॉलीवुड के गलियारों और सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया। लोग इस मामले को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर रिया का इस घोटाले में कितना गहरा हाथ है। यह घटना रिया के लिए एक और विवाद बनकर उभर रही है, जिन्होंने इससे पहले भी कई बार सुर्खियां बटोरी हैं।

घोटाले में हाई-प्रोफाइल लोगों की संलिप्तता की संभावना

500 करोड़ रुपये के इस मोबाइल ऐप घोटाले में कई नामी चेहरे शामिल हो सकते हैं, और पुलिस ने यह संकेत दिया है कि आगे भी कई लोगों से पूछताछ की जा सकती है। इस घोटाले ने एक बार फिर से भारतीय सिनेमा और बड़े नामों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

रिया की फिर से विवादों में वापसी

रिया चक्रवर्ती, जो पहले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में विवादों में घिर चुकी हैं, अब इस घोटाले के चलते एक बार फिर से कानूनी पचड़ों में फंसती नजर आ रही हैं। हालांकि, अब यह देखना बाकी है कि इस मामले की जांच किस दिशा में जाती है और रिया के करियर और छवि पर इसका क्या असर पड़ेगा।

यह मामला देशभर में तेजी से सुर्खियां बटोर रहा है और सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि रिया चक्रवर्ती की इस घोटाले में असल भूमिका क्या है।







भारत के सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर साइबर हमला..!


(फाइल फोटो)

न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

भारत के सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को हैक कर लिया गया है, जिसका उपयोग अदालत की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने के लिए किया जाता था। हैकिंग के बाद, चैनल का नाम "रिपल" दिखाई दे रहा था और इसमें अमेरिकी कंपनी रिपल लैब्स की क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित वीडियोज़ दिखाई दे रहे थे।

अब, चैनल का लिंक डिसएबल कर दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है । यह घटना साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उठाती है।





वन नेशन वन इलेक्शन: मोदी कैबिनेट की मंजूरी से देश में एक ही समय पर चुनाव कराने की योजना को हरी झंडी मिल गई है..।


 

न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य देश में एक ही समय पर सभी चुनाव कराना है इस फैसले चुनाव आयोग के से संसाधनों की बचत होगी, विकास और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा, और लोकतंत्र की नींव मजबूत होगी। और एक ही मतदाता सूची बनाई जाएगी।

यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है।





प्रधानमंत्री मोदी ने चीफ जस्टिस के निवास स्थान पर गणपति की आरती की।


 


न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ के निवास स्थान पर जाकर गणपति की आरती की और दर्शन किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने गणेश जी की पूजा की और उनके आशीर्वाद प्राप्त किए। यह एक महत्वपूर्ण घटना है, जो देश के सर्वोच्च नेता और न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को दर्शाती है।





70 साल से अधिक उम्र के सभी लोग आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा कवरेज के लिए पात्र होंगे: केंद्र सरकार।


(फाइल फोटो)

न्यू दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलेगा।

इस निर्णय से देश के लाखों बुजुर्ग लोग लाभान्वित होंगे और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच मिलेगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत, सरकार ने पहले ही 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने का लक्ष्य रखा था।

अब 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी इस योजना के तहत कवर किया जाएगा, जिससे वे अपने स्वास्थ्य के लिए बेहतर देखभाल प्राप्त कर सकेंगे।





शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस विधायक अयोग्यता मामले में सुनवाई स्थगित..!


(फाइल इमेज)

नई दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस विधायक अयोग्यता मामले की सुनवाई कल फिर स्थगित, दोनों मामलों पर अब गुरुवार को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्राचूड़ की अनुपस्थिति के कारण कल की सुनवाई स्थगित कर दी गई है।

यह मामला शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायकों की अयोग्यता से संबंधित है, जिसमें दोनों पार्टियों के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। इस मामले में कल सुनवाई होनी थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्राचूड़ की अनुपस्थिति के कारण इसे गुरुवार के लिए स्थगित कर दिया गया है।





सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चार्जशीट के बाद भी हाई कोर्ट कर सकता है FIR रद्द।


(फाइल इमेज)

नई दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर किसी मामले में कार्यवाही प्रक्रिया का दुरुपयोग होता है, तो हाई कोर्ट चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर रद्द कर सकता है। यह फैसला क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत आया है।

इस फैसले से उन मामलों में राहत मिल सकती है जहां झूठे या फर्जी मामले दर्ज किए गए हों। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हाई कोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर रद्द कर सकता है, अगर वह पाता है कि मामला झूठा या फर्जी है।





_विनोद तावड़े को भाजपा ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी_ _भाजपा सदस्यता अभियान के प्रमुख बने विनोद तावड़े, आज से शुरू होगा अभियान_


दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विनोद तावड़े को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। विनोद तावड़े को भाजपा सदस्यता अभियान का प्रमुख बनाया गया है और आज से यह अभियान शुरू हो रहा है।

_भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक_

भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की आज एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है, जिसमें सदस्यता अभियान की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। विनोद तावड़े को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने से उनकी भूमिका और महत्व में वृद्धि हुई है।

_भाजपा सदस्यता अभियान का उद्देश्य_

भाजपा सदस्यता अभियान का उद्देश्य पार्टी की सदस्यता बढ़ाना और नए सदस्यों को जोड़ना है। यह अभियान आज से शुरू हो रहा है और इसके लिए विनोद तावड़े को प्रमुख बनाया गया है।




केंद्र सरकार ने पुणे और ठाणे मेट्रो परियोजनाओं के लिए बड़ी घोषणा की है।


दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी

पुणे मेट्रो विस्तार:

स्वारगेट से कात्रज मेट्रो परियोजना को 2,954 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है।

यह परियोजना पुणे शहर के लिए एक महत्वपूर्ण विकास होगी।

ठाणे इंटर्नल रिंग मेट्रो:

ठाणे इंटर्नल रिंग मेट्रो परियोजना को मंजूरी मिली है, जिसकी लागत 12,200 करोड़ रुपये होगी।

यह परियोजना ठाणे शहर के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट होगा जो यातायात की सुविधा को बढ़ाएगा।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस घोषणा की जानकारी दी है।




महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव एक साथ क्यों नहीं होंगे? चुनाव आयोग ने दिया स्पष्टीकरण!


दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर को जबकि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। पिछली बार दोनों राज्यों के चुनाव एक साथ हुए थे।

चुनाव आयोग ने बताया कि:

1. इस साल हमें चार राज्यों के चुनाव कराने हैं, इसलिए हमने दो-दो राज्यों के गट बनाए हैं।

2. पिछली बार महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ जम्मू-कश्मीर शामिल नहीं था, और जम्मू-कश्मीर में हमें अधिक सुरक्षा बलों की आवश्यकता होगी।

3. जब एक चुनाव प्रक्रिया चल रही हो, तब जम्मू-कश्मीर के चुनाव की घोषणा नहीं की जा सकती।

4. महाराष्ट्र में कई त्योहार हैं, जैसे कि गणपति, नवरात्रि, पितृपक्ष, दिवाली। इसके अलावा, बारिश के कारण चुनाव अधिकारियों के काम अभी पूरे नहीं हुए हैं।




जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र समेत 4 राज्यों में कब होंगे चुनाव? EC आज 3 बजे करेगा ऐलान


 
दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

चुनाव आयोग शुक्रवार (16 अगस्त) को विधानसभा चुनावों के शेड्यूल का ऐलान करने वाला है. जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव आयोग की तरफ से इन चारों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा. हालांकि, सबसे ज्यादा निगाहें जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है, क्योंकि आर्टिकल 370 हटने के बाद यहां पर पहली बार वोटिंग करवाई जाएगी।




एनसीपी के चुनाव चिन्ह और नाम विवाद: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को होगी सुनवाई!


दिल्ली : दिनेश मीरचंदानी 

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चुनाव चिन्ह और नाम के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। यह मामला एनसीपी के नेतृत्व और चुनाव चिन्ह के उपयोग के अधिकार को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है, जिसका एनसीपी और राजनीतिक परिदृश्य पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।